एससी/एसटी नई दिल्लीउच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई अदालत सिर्फ ऐसे ही मामलों पर अग्रिम जमानत दे सकती है, जहां प्रथमदृष्टया कोई मामला नहीं बनता हो। उच्चतम न्यायालय का यह फैसला एससी-एसटी संशोधन अधिनियम 2018 को चनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर आया है। तीन जजों की पीठ में दो-एक से यह फैसला कोर्ट ने सुनाया हैन्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए शरुआती जांच की जरूरत नहीं है और इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंजूरी की भी आवश्यकता नहीं है। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने सहमति वाले एक निर्णय में कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह-नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा। न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि प्रथमदृष्टया एससी/ गिरफ्तारी गिरफ्तारी पर मिल एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद्द कर सकती है।दरअसल, एससी/ एसटी एक्ट में संशोधन के जरिए शिकायत मिलने पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान फिर से जोडा गया था। कोर्ट में दायर याचिका में इस संशोधन को अवैध करार देने की मांग की गई थीक्योंकि, मार्च 2018 में कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने वाला फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कानून के दुरुपयोग के ब?ते मामलों के मद्देनजर शिकायतों की शुरुआती जांच के बाद ही पुलिस को कोई कदम उठाना चाहिए। इस फैसले के व्यापक विरोध के चलते सरकार को कानून में बदलाव कर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान दोबारा जोड़ना पड़ा था। सरकार की दलील है कि अनुसूचित जातियों के लोग अब भी सामाजिक रूप से कमजोर स्थिति में हैं। उनके लिए विशेष अग्रिम जमानतः कानून जरूरी है ।एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से साल 2018 में दिए गए फैसले के बाद अनुसूचित जाति- जनजाति संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस बंद का कई राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन भी किया था और इस दौरान कई राज्यों में भारी हिंसा हुई थी और चौदह लोगों की मौत हो गई थी। इस प्रदर्शन का सबसे ज्यादा असर एमपी, बिहार, यूपी और राजस्थान में हुआ था ।देशभर में एससी/ एसटी एक्ट पर भारी विरोध और प्रदर्शनों को देखते हए 2 अप्रैल के भारत बंद के बाद केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पूर्नविचार याचिका दाखिल की। सरकार ने कानून को पूर्ववत रूप में लाने के लिए एससी-एसटी संशोधन बिल संसद में पेश किया और दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया।
एससी/एसटी में एफआईआर दर्ज होते ही होगी गिरफ्तारी पर मिल सकती है अग्रिम जमानतः सुप्रीम कोर्ट