भ्रष्टाचार, आतंकवाद के मामलों में लगातार सजा के लिए याचिका पर सुनवाई को सहमत सुप्रीम कोर्ट

के दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को उस उस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये सहमत हो गया जिसमें भ्रष्टाचार और आतंकवाद के विशेष कानूनों के तहत दोषी व्यक्ति को सुनाई गई कारावास की भिन्न सजाओं के लिये एक साथ कैद की बजाये एक के बाद एक सजा किया गया है. अमेरिका जैसे देशों में किसी भी अपराधी को म कसा भा अपराधा का अलग-अलग मामलों में मिली सजायें एक चलने की बजाये एक के बाद एक भुगतनी होती है.


प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूत्रि बी आर गवई और न्यायमूर्ति सर्य कांत की तीन सदस्यीय पीठ ने बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की इस दलील को स्वीकार किया कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि सा मालार्ज में ही केंद्र को इस मामले में नोटिस जारी किया था. उपाध्याय नााटस जारा किया था. उपाध्याय ने कहा कि याचिका पर केन्द्र का जवाब आ गया है और अब यह मामला सुनवाई के लिये पूरी तरह तैयार है, अत-इसे शीघ्र सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, %मामले को चार हफ्ते बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.% याचिका में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के एक प्रावधान के तहत दोषी व्यक्ति अलगअलग अपराधों के लिए मिली सजा को एक साथ काट सकता है लेकिन यह प्रावधान नृशंस अपराधों के लिए लागू नहीं होना चाहिए. याचिका में कहा गया है किदंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए), भ्रष्टाचार रोकथाम कानुन (पीसीए). बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध कानुन, धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए), पीएमएलए) तिरेशी योगटान (विनिमय) कानन (एफसीआरए), काला धन एवंकर चोरी कानन और भगोड आर्थिक चारा कानून आ. अपराधी कानन जैसे विशेष अधिनियमों पर लाग नहीं होनी चाहिए.


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